हर चीज़ की एक कल्पना होती है | किसी भी चीज़ की कल्पना करने से अपनी आत्मा उसका आधा समाधान कर देती है | भगवान ने भी दुनिया बनाने ने से पहले उसकी कल्पना की होगी | विज्ञानं भी कल्पना नाम के एक शब्द पे टिका हुआ है |
Nov 19, 2009
मेरे विचार
जिंदा रहने के लिये भोजन जरुरी है । भोजन से भी ज्यादा पानी जरुरी है । पानी से भी ज्यादा वायु जरुरी है । वायु से भी ज्यादा आयु जरुरी है । मगर मरने के लिये कुछ भी जरुरी नहीं है । आदमी यों ही बैठे बैठे मर सकता है । आदमी केवल दिमाग की नस फटने और दिल की धडकन रुकने से नहीं मरता बल्कि उस दिन भी मर जाता है जिस दिन उसकी उम्मीदें और सपने मर जाते है । उनका विश्वास मर जाता है । इस तरह आदमी मरने से पहले भी मर जाता है और फिर मरा हुआ आदमी दोबारा थोडे न मरता है ।
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