हर चीज़ की एक कल्पना होती है | किसी भी चीज़ की कल्पना करने से अपनी आत्मा उसका आधा समाधान कर देती है | भगवान ने भी दुनिया बनाने ने से पहले उसकी कल्पना की होगी | विज्ञानं भी कल्पना नाम के एक शब्द पे टिका हुआ है |
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