कुत्ता कल्चर
कुत्ता कल्चर समाज में तेजी से बढ रहा है । पहले लोग गाय पालते थे, अब कुत्ते पालते है । एक समय हमारे घर के बाहर लिखा होता था – “अतिथि देवो भवः” । फिर लिखा जाने लगा “शुभ-लाभ” । समय आगे बढा तो इसके बाद लिखा गया “वैलकम” । और अब लिखा जाता है – “कुत्ते से सावधान” । यह सांस्कृतिक पतन है । कुत्ते को रोटी देना, मगर उससे प्रेम मत करना । प्रेम करोगे तो मुंह चाटेगा, लाठी मारोगे तो पैर काटेगा । उसका चाटना और काटना दोनों बुरे है ।
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